भारत सरकार महिलाओँ को सशक्त बनाने के लिए सदैव तत्पर रही है। समय -समय पर सरकार ने महिलाओं को लेकर कई नवाचार किए है। ऐसे में हम बात करे मोदी सरकार की लखपति दीदी योजना के बारे में तो इस योजना से महिलाओँ को कितना फायदा मिला है और कितनी महिलाएं इस योजना का लाभ ले रही है। इस बारे में विस्तृत जानते है।
क्या है लखपति दीदी योजना ?
लखपति दीदी योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2023 को की थी। इस योजना के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 3 करोड़ महिलाओं को स्वरोजगार शुरू करने के लिए 1-5 लाख रुपये तक की ब्याजमुक्त आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है वही गाँव ठानी में इसका सीधा महिलाये लाभ उठा रही है । इसके साथ ही महिलाओं को वित्तीय और कौशल प्रशिक्षण भी दिया जाता है। जिसमे एलईडी बल्ब बनाने से लेकर प्लंबिंग, ड्रोन रिपेयरिंग जैसे तकनीकी काम सिखाए जाते हैं। इन तकनिकी काम के आधार पर कौशल महिलाओं का चयन किया जाता है।
दरअसल लखपति दीदी स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी उन महिलाओं को कहा जाता है, जिनकी प्रति परिवार सालाना आमदनी 1 लाख रुपये या इससे ज्यादा पर पहुंच गई है अर्थात एक रूपए से अत्यधिक कमाने वाली महिलाएं। 1 फरवरी को अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 3 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा है। बता दें कि पहले 2 करोड़ लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य तय किया गया था, जिसे अब बढ़ा कर 3 करोड़ कर दिया है। आने वाले रिपोर्ट कार्ड में यह तय होगा की भारत सरकार की इस योजना से कितने प्रतिशत महिलाएँ लखपति दीदी कहलायीं।
लखपति दीदी योजना के लाभ एवं विशेषताएं:
भारत सरकार की इस योजना में जो महिलाएं उद्यमी बनना चाहती हैं, उन्हें इस योजना के तहत अपना बिजनेस शुरू करने और बढ़ाने के लिए गाइड किया जाता है। साथ ही महिलाओं को बिजनेस से सम्बंधित बारीकियां बताई जाती है।
लखपति दीदी के तहत दिए जाने वाले प्रशिक्षण में बिजनेस प्लान, मार्केटिंग स्ट्रेटेजीज और बाजार तक पहुंच बनाने में सहायता करना शामिल है। महिलाओं को फाइनेंशियल नॉलेज से मजबूत बनाने के लिए कंप्रिहेंसिव फाइनेंशियल लिट्रेसी वर्कशॉप्स चलाए जाते हैं। इन वर्कशॉप्स में बजट, सेविंग, इन्वेस्टमेंट जैसी चीजों की जानकारी दी जाती हैं। साथ ही व्यापार में लाभ और हानि के बारे में डीप जानकारी प्रदान की जाती है।
लखपति दीदी योजना माइक्रो क्रेडिट की भी सुविधा देती है, जिससे महिलाओं को बिजनेस, एजुकेशन या दूसरी जरूरतों के लिए छोटे लोन आसानी से मिल जाते हैं।
योजना में महिलाओं को बचत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और इसके लिए उन्हें प्रोत्साहन राशि भी मिलती है। इस योजना में महिलाओं को किफायती बीमा कवरेज भी दिया जाता है। इससे उनकी फैमिली की सुरक्षा भी बढ़ती है।
महिलाओं में आत्मविश्वास बढाने के लिए कई तरह के इंपॉवरमेंट प्रोग्राम्स भी चलाए जाते हैं। विभागीय आउटलेट्स और समूहों के अलग-अलग जगहों पर लगने वाले मेलों में उनके उत्पादों की बिक्री सुनिश्चित की जाती है।
लखपति दीदी योजना की ऑनलाइन वेबसाइट और एप, हेल्पलाइन नंबर जल्द सरकार जारी करेगी साथ ही योजना से सम्बन्धित जानकारी के लिए नजदीकी केंद्र खोले जाएंगे। मोदी सरकार की इस घोसणा के बाद महिलाओं में कुछ नया मुकाम पाने की एक अलख जगी है। लखपति दीदी योजना के लिए निम्न रूप से पात्रता आवश्यक है।
*आवेदक को भारत का मूल निवासी होना चाहिए।
*इस योजना के लिए आवेदक की आयु सीमा 18 से 50 वर्ष रखी गई है।
*महिलाओं का किसी स्वयं सहायता समूह से जुड़ा होना अनिवार्य है।
लखपति दीदी योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज़
1 -आधार कार्ड
2 -आय प्रमाण पत्र
3 -मूल निवास प्रमाण पत्र
4 -पैन कार्ड
5 -ईमेल आईडी
6 -रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर
7 -पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ
8 -बैंक खता विवरण
लखपति दीदी योजना में ऑनलाइन आवेदन
लखपति दीदी योजना में महिलाएं ऑनलाइन आवेदन जल्द कर सकेंगी जैसे ही ऑनलाइन आवेदन सरकार द्वारा शुरू होने या सम्बंधित जानकारी होगी हम अपने आर्टिकल में इसकी जानकरी साजा करेंगे। वही महिलाएं लखपति दीदी योजना में ऑफलाइन आवेदन भी कर सकती है।
1 – योजना में ऑफलाइन आवेदन करने के लिए सबसे पहले आपको अपने ब्लॉक या फिर जिले में महिला एंव बाल विकास विभाग के कार्यालय मे जाना होगा।
2 – यहाँ पर सम्बंधित अधिकारी से लखपति दीदी योजना का आवेदन फॉर्म प्राप्त करना होगा।
3 -अब आवेदन फॉर्म में मांगी गयी सभी जानकारी को भर कर सभी सम्बंधित दस्तावेज इसी फॉर्म में संलग्न कर देना है।
4 – अब आपको सभी दस्तावेजों सहित आवेदन फॉर्म को उसी कार्यालय मे जमा करके इसकी रसीद प्राप्त कर लेनी होगी। इस तरह आप लखपति दीदी योजना में ऑफलाइन आवेदन कर पाएंगी।
5 – किसी प्रकार की अत्यधिक जानकारी की लिए विभाग में पूछताछ केंद्र रहेगा
लखपति दीदी योजना के विकास रिपोर्ट पर एक प्रकाश डाले तो स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं अपना उद्योग शुरू करके ना सिर्फ अपनी बल्कि दूसरी महिलाओं की आर्थिक स्थिति में भी सुधार ला रही हैं। देश में इस समय करीब 83,00,000 स्वयं सहायता समूह हैं, इनसे 9 करोड़ से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हैं। सरकार के दावे के आनुसार इन सभी 9 करोड़ महिलाओं के जीवन में बदलाव आया है। इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बनी हैं तथा अब तक 1 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाया जा चुका है। सरकार का लक्ष्य है की आने वाले समय में यह आकड़ा तीन करोड़ के पार हो और प्रत्येक महिला आत्मनिर्भर बने इस योजना से प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी का लक्ष्य है की प्रत्येक महिला को रोजगार का सुअवसर प्राप्त हो और योजना का ज्यादा से ज्यादा लाभ मिले। वही जब इस योजना को लांच किया जा रहा था तो केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा था की “यह समझौता ज्ञापन स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं और गरीब ग्रामीण युवाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। हमारा प्रारंभिक लक्ष्य महिलाओं को बड़ी संख्या में प्रशिक्षण प्रदान करना है, जिसे आगे और बढ़ाया जाएगा। हम स्वयं सहायता समूहों को प्राथमिकता प्रदान करेंगे।
एक नजर भारत की महिलाओं की आमदनी पर डाले तो एसबीआई की रिपोर्ट से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2019 के मुकाबले वित्त वर्ष 2024 (2023-24) में एसएचजी से जुड़ी महिलाओं की आमदनी तीन गुना बढ़ी हैं। इस अवधि में ग्रामीण क्षेत्रों में 2.8 गुना, अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में 3.2 गुना, शहरी क्षेत्रों में 4.6 गुना और मेट्रो शहरों मे 3.62 गुना ज्यादा आमदनी होने लगी है। रिपोर्ट में आमदनी की राशि नहीं बताई गई है। इस रिपोर्ट को सभी एसएचजी के तहत खोले गए बैंक खाते में जमा होने वाली राशि के आधार पर तैयार किया गया है.
यहाँ उम्र के फैक्टर को लेकर बात करे तो 28-42 वर्ष आयुवर्ग वाली सभी महिला उद्यमियों की आय बढ़ी
रिपोर्ट के मुताबिक देश के हर हिस्से में 28 से 42 वर्ष आयुवर्ग में एसएचजी से जुड़ी हर महिला उद्यमी की आय बढ़ी है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में सबसे ज्यादा एसएचजी पंजीकृत हैं। इनके अलावा तमिलनाडु, उत्तराखंड, केरल, पंजाब और गुजरात में भी एसएचजी से जुड़ी महिलाओं की आय में काफी तेजी से वृद्धि हो रही है।
इन राज्यों में सबसे ज्यादा लखपति दीदियां हैं। जबकि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और चंडीगड़ में भी एसएचजी की महिलाओं की आय अगले दो वर्षों में एक लाख रुपये सालाना हो जाएगी। इन राज्यों में अभी इस श्रेणी में एक लाख रुपये आय वाली कोई महिला नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2027 तक देश के हर राज्य में लाखों लखपति दीदियां होंगी।
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लखपति दीदी योजना को बताया एक किरण
वही भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने 23 दिसंबर, 2023 जैसलमेर, राजस्थान में लखपति दीदी सम्मेलन की शोभा बढ़ाई। और सरकार की इस योजना को प्रोत्साहित किया था. राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए खुशी हो रही है क्योंकि स्वयं सहायता समूह समाज के वंचित और पिछड़े वर्गों, विशेषकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब हमारा देश आजादी की शताब्दी मनाएगा तो हमने भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए आत्मनिर्भर होना बहुत जरूरी है। लेकिन यह तभी संभव होगा जब देश की हर महिला आत्मनिर्भर और सशक्त होगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि महिला सशक्तिकरण और कार्यबल में महिलाओं की समान भागीदारी सामाजिक और आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देती है। कोई भी देश अपनी 50 फीसदी आबादी को नजरअंदाज कर आगे नहीं बढ़ सकता महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय अध्ययनों और अनुमानों से पता चला है कि यदि कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर हो तो भारत की जीडीपी में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।
राष्ट्रपति ने सरकार की योजना पर जोर देते हुए कहा कि भारत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है कि महिलाओं को अधिक आर्थिक स्वायत्तता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और राजनीतिक शक्ति मिले। कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी और उनके रोजगार की गुणवत्ता में सुधार के लिए कई कदम उठाए गए हैं। श्रम कानूनों में अनेक सुरक्षात्मक एवं सहायक प्रावधान शामिल किये गये हैं। सरकार की कई योजनाएँ महिलाओं के जीवन स्तर को ऊपर उठाने में मददगार साबित हुई हैं। सरकार ने राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में भी बड़े कदम उठाए हैं। हाल ही में ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पारित किया गया है जिसमें महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। लेकिन, महिला सशक्तिकरण की यात्रा में अभी भी एक लंबा सफर तय करना बाकी है। आज भी सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में लिंग आधारित प्राथमिकता जैसी समस्याएँ बनी हुई हैं। महिलाओं को स्वामित्व और संपत्ति के अधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ता है, जिसके कारण उन्हें ऋण या ऋण प्राप्त करने में कठिनाई होती है।